देवेन्द्र पाण्डेय जी द्वारा खींचे गए चित्र- हाइगा में
-परिचय-
सारे चित्र देवेन्द्र पाण्डेय जी के ब्लॉग से साभार
अगली पोस्टिंग में मनु त्यागी जी के चित्र
हाइगा’ जापानी पेण्टिंग की एक शैली है,जिसका शाब्दिक अर्थ है-’चित्र-हाइकु’ । हाइगा दो शब्दों के जोड़ से बना है …(‘‘हाइ” = हाइकु + “गा” = रंगचित्र चित्रकला) हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था | लेकिन आज डिजिटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जाता है- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’-डॉ हरदीप कौर सन्धु, हिन्दी हाइकु से साभार
यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं|
रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर ‘मधु’
12 comments:
आपने तो इन चित्रों में जान डाल दिया! बधाई दूँ या आभार व्यक्त करूँ समझ नहीं पा रहा!!
इसे कहते हैं सोने पे सुहागा....
बधाई ऋता जी...आपको एवं देवेन्द्र जी को भी.
सस्नेह
अनु
वाह ....बहुत सुंदर
राकेट के अविष्कारक - शेर - ए - मैसूर टीपू सुल्तान - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सुन्दर...देवेन्द्र जी की बात से सहमत ..जान आ गई चित्रों में ..
@ देवेन्द्र जी पहले बधाई दीजिए कि इतना अच्छा काम किया ...फ़िर आभार व्यक्त कीजिये की आपके चित्रों को लेकर काम किया .... :-)
जय हो..!
बहुत सुंदर प्रस्तुति ....
आपने तो पाण्डेय जी के चित्रों में जान ही दाल दी,,,
बधाई ऋतू जी,,,
bolte chitron par
bolti rachna...:)
सही कहा अर्चना जी। मुझ पर आपकी कृपा तो पहले से थी अब मधु जी की भी हो गई है। ..बधाई फिर आभार।
बेशक तस्वीर बोलती है लेकिन हाइगु उसकी व्याख्या है विस्तार है चित्र अनुकूल भाव पूर्ण काव्य सौन्दर्य से संसिक्त रहे सभी हाइगु आपका आना ब्लॉग पे टिपियाना अच्छा लगा .कुछ अनच मिली और
अच्छा करने की ब्लोगिंग में ,शुक्रिया .
सुन्दर जुगल-बंदी ...
सोने पे सुहागा ... सभी हाइगा ...
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