सत्यमेव जयते देखने के बाद मेरी इच्छा हुई कि मैं भी बेटियों वाली एक पोस्ट डालूँ.यह पूर्व प्रकाशित है.आज मैं इसे पुन: प्रकाशित कर रही हूँ और इसे समर्पित कर रही हूँ उन सभी दादा- दादियों , माता- पिताओं और सभी घरों को जो बाहें फैला कर बेटियों का स्वागत करते हैं...वैसे मुझे ये नहीं मालूम है बेटियों का सहर्ष स्वागत करने वाले कितने प्रतिशत घर हैं.
हाइगा’ जापानी पेण्टिंग की एक शैली है,जिसका शाब्दिक अर्थ है-’चित्र-हाइकु’ । हाइगा दो शब्दों के जोड़ से बना है …(‘‘हाइ” = हाइकु + “गा” = रंगचित्र चित्रकला) हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था | लेकिन आज डिजिटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जाता है- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’-डॉ हरदीप कौर सन्धु, हिन्दी हाइकु से साभार
यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं|
रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर ‘मधु’
1 comment:
आपने बहुत सुन्दर हाइकु लिखे हैं, बिल्कुल आज की बेटियों को परिभाषित करते हुए| अब जमाना बदल चुका है फिर भी और सकारात्मक सोंच की आवश्यक्ता है|
अच्छे चित्रों के साथ सभी हाइगा सार्थक लग रहे हैं|
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