आज देवेन्द्र पाण्डेय जी ने अपने ब्लॉग 'बेचैन आत्मा' पर बनारस के सूर्योदय का मनमोहक चित्र पोस्ट किया था...रविवार की छुट्टी थी तो उसी चित्र पर बन गए हाइगा|
चित्र देवेन्द्र पाण्डेय जी के ब्लॉग से साभार
हाइगा’ जापानी पेण्टिंग की एक शैली है,जिसका शाब्दिक अर्थ है-’चित्र-हाइकु’ । हाइगा दो शब्दों के जोड़ से बना है …(‘‘हाइ” = हाइकु + “गा” = रंगचित्र चित्रकला) हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था | लेकिन आज डिजिटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जाता है- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’-डॉ हरदीप कौर सन्धु, हिन्दी हाइकु से साभार
यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं|
रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर ‘मधु’
10 comments:
वाह ऋता जी....
मुझे फोटो ही बहुत पसंद आये थे....आपने तो कमाल ही कर दिया....
बहुत सुन्दर.
सस्नेह
अनु
@ वाह !!!!! देवेंद्र पाण्डेय जी के शानदार चित्रों में सजी सुंदर हाइगा,,,
recent post: रूप संवारा नहीं...
आपके श्रम ने मेरी घुमक्कड़ी को अर्थ दिया।
शानदार चित्रों में सजी सुंदर हाइगा
ऋता जी मानना पड़ेगा आपने बहुत कमाल कर डाला. कल देवेन्द्र जी ने चित्र प्रदर्शित किये और आज आपने उनसभी को हाईगा में परिवर्तित कर दिया.
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
वाह! बहुत सुन्दर...
कुछ अलग तरह की अनुभूति जगाती हैं - ये हाइगा।
अद्भुत .... चित्रों पर बहुत सुंदर हाइकु .... जिन्हें आपने हाइगा में प्रस्तुत किया ।
wah behad khubsurat lines chitro kay saath
वाह ऋता ..सुबह की तरह ही सुन्दर ताजा सा हाइगा..
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