हाइगा’ जापानी पेण्टिंग की एक शैली है,जिसका शाब्दिक अर्थ है-’चित्र-हाइकु’ । हाइगा दो शब्दों के जोड़ से बना है …(‘‘हाइ” = हाइकु + “गा” = रंगचित्र चित्रकला) हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था | लेकिन आज डिजिटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जाता है- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’-डॉ हरदीप कौर सन्धु, हिन्दी हाइकु से साभार
यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं|
रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर ‘मधु’
16 comments:
बड़े ही रोचक तरीके से सारी सब्जियों के गुण बता दिए आपने हाइगा के माध्यम से...। नया लगा मुझे यह तरीका...बधाई...।
शीत की सब्ज़ी
पौष्टिकता से भरी
खूब दर्शाया|
सब्ज़ी की इच्छा
हाइगा में आपने
खूब उतारा|
सब्ज़ी अनेक
शीत ऋतु में आती
स्वाद बढ़ाती|
हर बार की तरह उत्कृष्ट हाइगा!
सादर
आदरणीया ऋता शेखर 'मधु'जी
सस्नेहाभिवादन !
१२स्लाइड्स-३४ हाइकु की आपकी
हाइगा की यह पोस्ट संग्रहणीय बन गई है … मैंने बुकमार्क करके रखा है इसे … सच !!
आप धीरे-धीरे मेरी हाइकु के प्रति अरुचि-उदासीनता मिटा देंगी शायद :)))
आपकी कई पुरानी पोस्ट्स भी संभाली … सबके लिए हृदय से बधाई !
मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आदरणीय प्रियंका जी, रवि जी,
उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार|
आशा है आगे भी आत्मीयता बनाए रखेंगे|
सादर
ऋता शेखर
सम्माननीय राजेन्द्र जी,
आप जैसे उत्कृष्ट रचनाकारों के उत्साहवर्धक और
प्रेरणादायक शब्द मेरी लेखनी को ऊर्जा प्रदान करते हैं|
इसके पहले भी मधुर गुंजन और अन्य स्थानों पर प्रकाशित रचनाओं पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हो चुकी हैं|उन सबके लिए हार्दिक आभार एवं धन्यवाद|आशा है आगे भी उत्साह बढ़ाते रहेंगे|
सादर
ऋता शेखर
इतनी सारी सब्जियाँ, बहुत मेहनत की है इस बार भी, बहुत बहुत बधाई
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-715:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
सुन्दर प्रस्तुतीकरण!
आपकी मेहनत ने इसे भी आपकी हर पोस्ट की तरह संग्रहणीय बना दिया है!
सब्जी बाजार
खुश्बू और महक
बड़े मोहक.
सादर बधाई..
शब्द नही हैं मेरे पास आपकी अनुपम प्रस्तुति पर कुछ कहने के लिए.बस बार बार दिल से निकल रहा है आभार... आभार.....
बहुत बहुत आभार आपका.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
हनुमान लीला पर अपने अमूल्य विचार और
अनुभव प्रस्तुत कर अनुग्रहित कीजियेगा जी.
आदरणीय नवीन जी,दिलबाग जी,अनुपमा जी,संजय जी,राकेश जी,
आप सब यहाँ पर आए और अपने अमूल्य विचारों से अनुग्रहित कर
उत्साहवर्धन किया, इसके लिए हार्दिक आभार|आशा है आगे भी आपका सहयोग मिलता रहेगा...बहुत-बहुत शुक्रिया|
सादर
ऋता शेखर
अद्भुत सुन्दर हाइगा लिखा है आपने! खुशबू और महक से भरपूर ताज़ा सब्ज़ी के साथ बेहतरीन प्रस्तुती!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
एक से बढ़कर एक हाइगा.... जानकारी भी खूब दी है आपने ....
ऋता जी
आपके ये हाइगा तो बच्चों की पुस्तकों में होने चाहिए. बच्चे सचमुच सब्जियों के फैन हो जायेंगे. चित्रों के माध्यम से इतना सुंदर सन्देश सचमुच अद्भुत है. आपके हायगा जल्द ही ३०० से ३००० पर पहुंचे.
शुभकामनायें.
आदरणीया बबली जी, मोनिका जी, रचना जी
तहे-दिल से आभारी हूँ आपके उत्साहवर्धक शब्दों के लिए
आप सबकी शुभकामनाएँ मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं|
रचना जी, हाइगा की संख्या बढ़ती जाए-
यह कहकर आपने मुझमें नए उत्साह का संचार कर दिया है|
आप सबको भी मेरी शुभकामनाएँ|
सादर
ऋता शेखर
ये भी कितना अनोखा और सुन्दर हाइगा बन गया है...बहुत ही बढ़िया है ऋता दी!
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