आज मै स्वनिर्मित कृतियों पर हाइगा प्रस्तुत कर रही हूँ|
1.यह वुड का बना टेलीफोन स्टैंड है| इसके बैक पर पेंटिंग के जरिए राजस्थानी बाला एवं वहाँ की पृष्ठभूमि को उतारा है| इसके बेस पर उसी पृष्ठभूमि का प्रतिबिंब अंकित करने की कोशिश की है|
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2.यह मिट्टी का पॉट है| इसपर एम.सील से मोर की आकृति उभारी है और उसपर पेन्ट किया है|
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3.यह ड्राइ फ़्रूट्स का डलिया है, जिसके पीछे में दो मछलियाँ बनाई
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4.यह निडल वर्क है| मैटी क्लॉथ पर माँ सरस्वती की तस्वीर बनाई है|
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5.गत्ते से फ़ोटो फ़्रेम बनाकर सजाया है|
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13 comments:
बहुत ख़ूबसूरत चित्र और साथ में आपने इतनी सुन्दरता से हर एक शब्द लिखा है जो प्रशंग्सनीय है! ख़ास कर पहला चित्र अद्भुत सुन्दर लगा! सभी हाइगा एक से बढ़कर एक है और चित्रों के साथ मनमोहक प्रस्तुती!
वाह! बहुत अच्छे हाइ-गा,
टिप्पणी लिखने में हमे समय नहीं लगता परन्तु निश्चित तौर पर इसकी रचना में वक़्त लगा होगा ये अवलोकन दर्शाता है |
बहुत अच्छी प्रस्तुति !
इस ब्लॉग के हेडर पर निम्नलिखित पंक्तियाँ लिखी हैं|
हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था |
२१वीं शताब्दी में आपने इसे ब्लॉग पर साकार कर दिया|अद्भुत!
वाह ऋता जी ! आप तो छुपी रुस्तम निकली...। इतनी सुन्दर कलाकृतियाँ...! मेरी बधाई...।
प्रियंका
बहुत अच्छा ! बधाई !
सुन्दर कलाकृतियाँ और उतने ही सुन्दर काव्य मोती!
Bahut khub!
अद्भुत संयोजन साहित्य और सुन्दर कलाकृतियों का.. आपने नयी मिशाल पेश कि है!! बधाईयां
अद्वतीय चित्र एवं शब्द संयोजन ...
लाजबाब पोस्ट ,
मेरे पोस्ट में स्वागत है ,...
अद्दुत...कमाल कला फ्यूजन है...
आपकी सभी कलाकृति अनमोल है, और यह पोस्ट भी..
:):)
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-701:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
वाह सुन्दर हईगा... सुन्दर प्रयोग...
सादर बधाई
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
कभी यहाँ भी पधारें
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