हाइगा’ जापानी पेण्टिंग की एक शैली है,जिसका शाब्दिक अर्थ है-’चित्र-हाइकु’ । हाइगा दो शब्दों के जोड़ से बना है …(‘‘हाइ” = हाइकु + “गा” = रंगचित्र चित्रकला) हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था | लेकिन आज डिजिटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जाता है- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’-डॉ हरदीप कौर सन्धु, हिन्दी हाइकु से साभार
यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं|
रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर ‘मधु’
15 comments:
बहुत सुन्दर ||
दो सप्ताह के प्रवास के बाद
संयत हो पाया हूँ ||
बधाई ||
वाह ! कितने अच्छे हाइ-गा |
चित्रों के साथ बहुत अच्छी पंक्तियाँ |
बहुत अच्छी प्रस्तुति |
जाड़े की रात तो मूर्त हो उठी है इस प्रस्तुति में!
बहुत सुन्दर!
हाइगा देखा
मैं ठंढ से सिकुड़ा
हू-हू-हू किया|
मिली जो चाय
सुकुन मिल गया
काम पे चला|
पहला हाइगा(अकेली रात) और
कार्टून हाइगा-हू-हू-हू बहुत अच्छे लगे|
|| अच्छे हाईगा
अलबेले हैं भाव
दिल की राह ||
सादर बधाई..
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-704:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..जाड़े की रात के इतने रूप ...बहुत बढ़िया
बहुत खूब ॠता जी ! सारे हाइकु एक से बढ़कर एक हैं । चित्रों का संयोजन भी खूब सूरत है।
बहुत सामयिक और खूबसूरत हाइगा हैं...बधाई...।
प्रियंका
एक अलग रूप देखने को मिला जाड़े का इस हाइगा में..
बेहतरीन चित्रों के माध्यम से जाड़ों के बहुत खुबशुरत आयाम,बढ़िया हाइगा,.....लाजबाब पोस्ट,...
मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
महत्व है,...
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
वाह बहुत बढ़िया..जाड़े को साकार रुप दे दिया..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सारे एक से बढ़कर एक हैं ...हाइकु + हाइगा एक अलग रूप देखने को मिला !!
वाह! बेहतरीन हाइगा!!
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