1125 HAIGAS PUBLISHED TILL TODAY(04.09.15)......आज तक(04.09.15) 1125 हाइगा प्रकाशित Myspace Scrolling Text Creator

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रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर मधु

Friday, 18 November 2011

जाड़े की रात-हाइगा में

ठंढ ने अपने पाँव पसार लिए हैं|
इस ठंढ को हाइगा में देखें तो कैसा लगेगा-देखते हैं|
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सारे चित्र गूगल से साभार

15 comments:

रविकर said...

बहुत सुन्दर ||

दो सप्ताह के प्रवास के बाद
संयत हो पाया हूँ ||

बधाई ||

Human said...

वाह ! कितने अच्छे हाइ-गा |
चित्रों के साथ बहुत अच्छी पंक्तियाँ |
बहुत अच्छी प्रस्तुति |

अनुपमा पाठक said...

जाड़े की रात तो मूर्त हो उठी है इस प्रस्तुति में!
बहुत सुन्दर!

Ravi Ranjan said...

हाइगा देखा
मैं ठंढ से सिकुड़ा
हू-हू-हू किया|

मिली जो चाय
सुकुन मिल गया
काम पे चला|

पहला हाइगा(अकेली रात) और
कार्टून हाइगा-हू-हू-हू बहुत अच्छे लगे|

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

|| अच्छे हाईगा
अलबेले हैं भाव
दिल की राह ||

सादर बधाई..

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-704:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..जाड़े की रात के इतने रूप ...बहुत बढ़िया

सहज साहित्य said...

बहुत खूब ॠता जी ! सारे हाइकु एक से बढ़कर एक हैं । चित्रों का संयोजन भी खूब सूरत है।

प्रियंका गुप्ता said...

बहुत सामयिक और खूबसूरत हाइगा हैं...बधाई...।
प्रियंका

abhi said...

एक अलग रूप देखने को मिला जाड़े का इस हाइगा में..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बेहतरीन चित्रों के माध्यम से जाड़ों के बहुत खुबशुरत आयाम,बढ़िया हाइगा,.....लाजबाब पोस्ट,...

मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....

आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
महत्व है,...
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

Maheshwari kaneri said...

वाह बहुत बढ़िया..जाड़े को साकार रुप दे दिया..

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

विभा रानी श्रीवास्तव said...

सारे एक से बढ़कर एक हैं ...हाइकु + हाइगा एक अलग रूप देखने को मिला !!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वाह! बेहतरीन हाइगा!!