हाइगा’ जापानी पेण्टिंग की एक शैली है,जिसका शाब्दिक अर्थ है-’चित्र-हाइकु’ । हाइगा दो शब्दों के जोड़ से बना है …(‘‘हाइ” = हाइकु + “गा” = रंगचित्र चित्रकला) हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था | लेकिन आज डिजिटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जाता है- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’-डॉ हरदीप कौर सन्धु, हिन्दी हाइकु से साभार
यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं|
रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर ‘मधु’
13 comments:
रामेश्वर काम्बोज'हिमांशु' जी के सुन्ढर हाइकु के अनुरूप चित्रों के चुनाब से हाइगा काफी सार्थक और भावपूर्ण हो गया है| चित्रों का चुनाब कोई आप से सीखे|वाह रे बेफिक्र मुस्कान|अकेलापन में चित्रों का चुनाव बेजोड़ है| बधाई|
ॠता जी मैं तो इतना ही कहूँगा कि मेरे साधारण हाइकुओं को आपने अपने हृदय में रचा-बसाकर फिर तदनुरूप चित्रों की तलाश की और हाइगा बनाने का काम सम्पन्न किया। इस सफल संयोजन के लिए आपको कोटिश: साधुवाद !!आपने जितना परिश्रम किया है वह तो अमूल्य है। उसके लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं।
बहुत सुन्दर ..रामेश्वर जी की सुन्दर हाइकू का समायोजन चित्रों के साथ और बेहतरीन है हाईगा...खुश्बू भरी ..हर पगडण्डी ..नन्ही दुनिया ... बहुत सुन्दर ...उम्दा ..आपका सादर धन्यवाद
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
nice
bahut hii khoobsoorat.
आप लोग यहाँ पर आए और हाइगा को पसन्द किया, इसके लिए तहे दिल से आभारी हूँ|
सादर
ऋता
अति सुंदर.
Very very good photographs with meaningfull haiku poem...
Bahut khubsurat rup nikhra hai in haikuon ka haiga se aap donon ko bahut-2 badhai..
हर एक गहरे अर्थ ध्वनित करता है ....प्रस्तुतीकरण का अंदाज निराला लगा .....!
bahut achchha laga haaiku ko haaiga ke roop mein padhna aur dekhna. Kamboj bhai ko is vidha mein mahaarat haasil hai. bahut shubhkaamnaayen.
आदरणीय काम्बोज जी के न्यारे हाइकुओं का इतने प्यारे व सटीक चित्रों के साथ हुए इस संयोजन ने मन प्रसन्न कर दिया...।बहुत बधाई...।
प्रियंका
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