1125 HAIGAS PUBLISHED TILL TODAY(04.09.15)......आज तक(04.09.15) 1125 हाइगा प्रकाशित Myspace Scrolling Text Creator

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रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर मधु

Friday 7 October 2011

जिजीविषा एवं मेरा भारत

डॉ जेन्नी शबनम एवं दिलबाग विर्क जी के हाइकुओं पर आधारित हाइगा
अगली प्रस्तुति में- प्रियंका गुप्ता जी















चित्रों के संयोजन में Ladies First का formula अपनाया है|
सारे चित्र गूगल से साभार

11 comments:

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति ||

आभार |
शुभ विजया ||

Ravi Ranjan said...

जिजीविषा एवं मेरा भारत पर चित्र भी अच्छे एवं हाइकु भी अच्छे|

प्रियंका गुप्ता said...

बहुत खूब ऋता जी...लेडीज़ फ़र्स्ट...मज़ा आया पढ़ कर...।
दो भिन्न भावनाओं वाले हाइकुओं के मोती एक साथ पिरो कर एक खूबसूरत माला बना दी आपने...उन पर चित्रों के रत्न तो जड़े ही हैं...। दिल की गहराई से लिखे गए हाइकुओं को हाइगा रूप में उतने ही गहराई से प्रस्तुत किया गया है...जेन्नी जी, दिलबाग जी और आपको बहुत बधाई...।

प्रियंका

सहज साहित्य said...

डॉ जेन्नी शबनम के हाइकु वैसे ही गागर में सागर हैं और दिल को भिगो देते हैं ,चित्र की तरह मन पर खिच जाते हैं। उस पर फिर चित्र-संयोजन जैसे हाइकु शरीर धारण करके सामने आ खड़े हुए।

Rama said...

डा. जेन्नी शबनम जी एवं दिलबाग के हाइकु बहुत सुन्दर हैं और भी ख़ूबसूरत आपके द्वारा प्रस्तुत चित्रों से बन गए है ...आप सबको बधाई एवं विजय पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं....
डा. रमा द्विवेदी

अरुण चन्द्र रॉय said...

sundar prayog. kintuyadi chitra apne ho to mahatw aur bhi badh jata hai.google se sabhar chitra wo probhav nahi chhodte

दिलबागसिंह विर्क said...

आदरणीय ऋता शेखर मधु जी
सादर प्रणाम
मेरे हाइकु से हाइगा निर्मित करके इनकी शोभा द्विगुणित करने के लिए मैं तहे-दिल से आपका आभारी हूँ

डॉ. जेन्नी शबनम said...

haaiga dekhkar yun lagta hai jaise mere haaiku ka wazood aapke haaiga ke sath sampurn hua. mere bhaav ko chitramay prastut kar jivantata la di aapne. hriday se aabhar Rita ji. dilbarg ji ke haaiku aur aapke haaiga ke liye badhai.

हिन्दी हाइगा said...

Amita Kaundal said...

ऋता जी बहुत सुंदर हईगा हैं. इतने सुंदर और भावनात्मक हाइकु को हईगा का लिबास पहना कर आपने उनमें चार चाँद लगा दिए हैं.
बधाई
सादर,
अमिता कौंडल

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...




ॠता शेखर मधु जी

आपने शब्दों को चित्रों के साथ सजा कर हाइगा से परिचित कराया , तदर्थ आभार !
इस सुंदर संयोजन से हाइकु के प्रति कुछ सम्मोहन पैदा हुआ है … अन्यथा मुझे हाइकु उबाऊ लगता रहा है अब तक तो…

यहां प्रस्तुत तमाम हाइगा और हाइकु अच्छे लग रहे हैं …
# अब कभी इस विधा में लिखने को प्रेरित हुआ तो उसका श्रेय आपको ही जाएगा …:)


त्यौंहारों के इस सीजन सहित
आपको सपरिवार
दीपावली की अग्रिम बधाइयां !
शुभकामनाएं !
मंगलकामनाएं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार

दिगम्बर नासवा said...

गागर में सागर ... क्या कमाल है चटक सी ... चुस्त चुटीली ...