मन के द्वार हजार---समीक्षा- ऋता शेखर 'मधु'
ईश्वर की अनुपम कृति है मनुष्य और मनुष्य की अनुपम अनुभूति है मन| अनुभूति की अनुपम अभिव्यक्ति है भाषा| भाषा शब्दों की वह शैली है जो मन के करीब होती है और दिल की गहराइयों में उतर जाती हे| सद्य प्रकाशित पुस्तक 'मन के द्वार हजार' सिद्धहस्त हाइकुकार रचना श्रीवास्तव जी की पुस्तक है जिसमें उन्होंने हिन्दी हाइकु का अवधी भाषा में अनुवाद किया है| अवध, जहाँ मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम जी ने सतयुग में राज्य किया था, वहाँ की भाषा भी मीठी मर्यादित है इसे सभी पाठक पुस्तक पढ़कर महसूस कर सकेंगे| हिन्दी भाषा के हाइकुओं का अवधी भाषा में अनुवाद कर कवयित्रि रचना जी ने भाषा पर अपनी पकड़ एवं लेखन की विस्तृता का अद्भुत परिचय दिया है| इस पुस्तक में रचना जी ने ३४ हाइकुकारों के कुल ५४२ हाइकुओं को अवधी में सफलतापूर्वक रुपांतरित किया है| इस ऐतिहासिक महत्व के कार्य के लिए रचनाकार रचना जी कोटिशः बधाई की पात्र हैं|
अब पढ़ते हैं उनके द्वारा अनुवादित कुछ हाइकु जो रचना जी की रचनाधर्मिता एवं सामर्थ्य सहज ही उद्धृत करेगा| प्रस्तुत है पुस्तक में शामिल सभी ३४ रचनाकारों के एक हाइकु का अवधी रुपांतरण जिसे रचना जी की लेखनी का सुखद स्पर्श मिला है...
१) डॉ भगवत शरण अग्रवाल-
धन्य बरखा/ खेतवा मा कविता/ बोवे किसान
२) डॉ सुधा गुप्ता-
दियवा लागे/ घटिया मा खिलत/ डैफोडिल हैं
३) डॉ रमाकान्त श्रीवास्तव-
केकर पीरा/ बनिके घटा छाई/ मेघवा घिरा
४) डॉ सतीशराज पुष्करणा-
हँसा ऐ दोस्त/ रोये से ई रतिया/ छोट न होई
५) डॉ मिथिलेश दीक्षित-
नवा साल कै/ उठनवा नवा हो/ खुसियो नवा
६) डॉ उर्मिला अग्रवाल-
याद पिजरा/ तरपत रहत/ मन सुगवा
७) रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'-
मईया याद/ मन्दिर के दियवा/ जरे हमेसा
८) डॉ भावना 'कुँअर'-
बुझै सागर/ सुरज ठनढाय/ जरत चाँद
९) डॉ हरदीप कौर सन्धु-
बिटियन से/ घरवा गुलसन/ खिलै अँगना
१०) पूर्णिमा बर्मन-
देस हमरा/ सबहिं को पियारा/ ज़िन्दगियो से
११) रचना श्रीवास्तव-
चैन से सोवे/ अचरवा के छाँव/ माई जे जागे
१२) सुदर्शन रत्नाकर-
बहुते हेरा/ मकनवा मिला/ घरवा नाही
१३) कमला निखुर्पा-
काहे चुप है/ बरगदवा बाबा/ दढीया बढी
१४) प्रियंका गुप्ता-
होंठवा हँसी/ देखियु के समझे/ मन कै पीरा
१५) डॉ जेन्नी शबनम-
गोड़वा जख्मी/ रहिया मा कँटवा/ कहवाँ जाईं
१६) सुभाष नीरव-
दुख गहिरा/ पियवा मिलन पै/ कब ठहिरा
१७) डॉ अनीता कपूर-
रात बिछौना/ सपन के तकिया/ निंदिया सौत
१८) मंजु मिश्रा-
अनेकों भासा/ हमरे देसवा म/ तब्बो है एक
१९) मुमताज टी एच खान-
मन-बगिया/ खुसबू फैईरावै/ मिठ बोलिया
२०) डॉ अमिता कौण्डल-
अखिया सून/ धुआ भै सपनवा/ इहै गरीबी
२१) ऋता शेखर 'मधु'-
पनिया गिरे/ उडै सोंध खुसबू/ धोई धरती
२२) डॉ श्याम सुन्दर 'दीप्ति'-
रहिया मिले/ पाथर इठाई के/ पुल बनायो
२३) सीमा स्मृति-
काहे हमेसा/ अनहोनी के डर/ उमरि भर
२४) डॉ ज्योत्सना शर्मा-
गहरी पीरा/ मेघवा कै मनवा/ टूटी जाति बा
२५) सुशीला शिवराण-
काहे बिटिया/ बहु
२६) अनीता ललित-
उमंगिया मा/ पिरेम उजास मा/ दोस्ती कै बास
२७) डॉ आरती स्मित-
पतवा झरे/ दुखी नाही होइया/ फूल खिलिहें
२८) कृष्णा वर्मा-
फुलवा पटी/ बगिया के कियारी/ गंध ठुमकी
२९) तुहिना रंजन-
दुखवा भारी/ मछरी परेसान/ गन्दा पनिया
बाल हाइकुकारौं के हाइकुओं के भी अनुवाद किया है रचना जी ने-
३०) सुप्रीत सन्धु-
मुस्किल आवे/ रौसनी कै मिनार/ बनत माई
३१) ऐश्वर्या कुँअर-
बरखा आवै/ सागर मा नहावै/ ई डूबै जाये
३२) ईशा रौहतगी-
आवत-जात/ दुख अउर सुख/ इहै जिन्नगी
३३) अन्वीक्षा श्रीवास्तव-
आपन पंख/ तितली फैहरावै/ आकास रंगे
३४) इला कुलकर्णी-
माई रोवत/ तुहें याद कैई के/ हमहू रोई
पाठक यह अवश्य महसूस करेंगे कि रचना जी ने अनुवाद में हाइकु के मूल भाव को समेटते हुए लय और प्रवाह का भी पूरा ख्याल रखा हे| भविष्य में भी कवयित्रि अपनी लेखनी से हाइकु के क्षेत्र में अनुपम योगदान देती रहेंगी, इसी आशा और विश्वास के साथ शुभकामनाएँ !!