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Tuesday 17 April 2012

वसुन्धरा की पुकार- हाइगा में

पृथ्वी दिवस( 22 April )
हरी हरी वसुन्धरा पे नीला नीला ये गगन
उसपर मस्त होकर बहता बहता ये पवन
हमारी करनी से इनपर लग ना जाए ग्रहण
क्या झेल पाएँगे हम विनाश की ये चुभन?




सारे चित्र गूगल से साभार

8 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

हाइगा के माध्यम से आपने बहुत सार्थक संदेश दिया है।


सादर

ANULATA RAJ NAIR said...

न ढकों धरा
पोलीथीन से मित्रों
ये सांस तो ले

बेहतरीन सन्देश ऋता जी.....
धरा मुस्कुराती रहे....
बधाई.

Rohit Singh said...

अरे हम तो जन्मजात इस कला के धनी थे..हमें पता ही नहीं था...

Rohit Singh said...

अरे हम तो जन्मजात इस कला के धनी थे..हमें पता ही नहीं था...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर संदेश देते हाइगा

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

वसुंधरा की पुकार को सार्थक संदेशों में सुंदरता से उकेरा है, बधाई.

Kailash Sharma said...

सार्थक सन्देश देते बहुत सुन्दर हाइगा ....बधाई !

abhi said...

हाईगा और सन्देश..दोनों ही बहुत खूबसूरत हैं!! :)