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रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर मधु

Wednesday 28 September 2011

व्यथित वृक्ष

डॉ भावना कुँअर जी के हाइकुओं पर अधारित हाइगाः
अगली प्रस्तुति में-रचना श्रीवास्तव जी

जान-बूझ के जो न समझें, वृक्ष ही है सृष्टि|
काट-काट के वो रोकें, आसमान  की  वृष्टि||
रो-रो कर  कटे वृक्ष  कहें, अपने मन की व्यथा|
लिख-लिख के दिल रो दिया,महाविनाश की कथा||
                       ऋता शेखर मधु








सारे चित्र गूगल से साभार

10 comments:

Ravi Ranjan said...

पेड़ों की निर्मम हत्या से सृष्टि का महाविनाश हो रहा है,डॉ भावना कुअँर जी के इस संदेश को देते हाइकु की हाइगा में जीवंत प्रस्तुति...

रविकर said...

खूबसूरत प्रस्तुति ||

बधाई ||

नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं

dcgpthravikar.blogspot.com

dineshkidillagi.blogspot.com
neemnimbouri.blogspot.com

Rama said...

डा. रमा द्विवेदी


बहुत सजीव ,सटीक और सुन्दर हाइगा ....डा. भावना जी एवं ऋता जी को अनंत शुभकामनाएं ......

त्रिवेणी said...

bahut sunder....dr.Bhawana ji aur aapko badhayee !

ऋता शेखर 'मधु' said...

आप सभी को सपरिवार
नवरात्रि पर्व की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
यहाँ पर आने के लिए हार्दिक आभार|

प्रियंका गुप्ता said...

बहुत खूब...हाइकु रूप में तो ये रचनाएँ मन को छू ही लेती हैं...पर ऋता जी, आपके सटीक चित्र संयोजन इसमें चार चाँद लगा देते हैं...।
बधाई...आपको भी और भावना जी को भी...।
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं...|

ऋता शेखर 'मधु' said...

Comment received on email by
Amita Kaundal Ji

भावना जी के हाइकु गीत में आपने प्राण फूंक दिए हैं. बहुत सुंदर हईगा हैं.बधाई,
सादर,
अमिता कौंडल

Dr.Bhawna Kunwar said...

AAP SABHI KA BAHUT-2AABHAAR...

सहज साहित्य said...

डॉ भावना कुँअर जी के हाइकु बहुत ही सम्प्रेष्य हैं । आपने हाइगा के माध्यम से और सुन्दर रूप प्रदान कर दिया है ।

Rachana said...

bhawna ji sada hi abhut sunder haiku likhti hain .ek baat aap hai haiku ke adhar ka chitr jo lati hain vo bhi kamal hai.aapki mehnat ko naman
rachana