हाइगा’ जापानी पेण्टिंग की एक शैली है,जिसका शाब्दिक अर्थ है-’चित्र-हाइकु’ । हाइगा दो शब्दों के जोड़ से बना है …(‘‘हाइ” = हाइकु + “गा” = रंगचित्र चित्रकला) हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था | लेकिन आज डिजिटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जाता है- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’-डॉ हरदीप कौर सन्धु, हिन्दी हाइकु से साभार
यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं|
रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर ‘मधु’
14 comments:
सुन्दर प्रस्तुति । आभार।।
वाह..वाह..वाह....
क्या बात है ऋता जी...
हाइगा में पूरी की पूरी कहानी..........
आपकी रचनात्मकता और मेहनत दोनों को सलाम..
सस्नेह.
बहुत बढ़िया!
दिल से सुनाई,दिल तक पहुंची ....
सिन्ड्रेला की प्यारी कहानी !
मुबारक हो !
शुभकामनाएँ!
वाह...वाह...वाह...
सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...
वाह...वाह...वाह...
सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...
वाह!
very very nice....:-)
सुंदर प्रयोग
खूबसूरत हाइगा
इस विधा के बारे में जानकारी नहीं थी, चित्रमय प्रस्तुति बढ़िया लगी.
ॠता जी किसी कथा को हाइकु के माध्यम से प्रस्तुत करना कठिन है , फिर उसे हाइगा में परिवर्तित करना और भी कठिन । आपने भरसक सिण्ड्रेला के कथा -प्रसंग को परिश्रमपूर्वक उतारा है । बहुत-बहुत बधाई !
ये तो सच में सिन्ड्रेला की कहानी हो गयी हाईगा में..मेरी सभी छोटी बहनों को ये बहुत पसंद आएगा...अभी तुरत उन्हें मेल करता हूँ ये लिंक!! ;)
आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html
जादू की छड़ी
सिन्ड्रेला बनी
मधु की सहेली ...
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