हाइगा’ जापानी पेण्टिंग की एक शैली है,जिसका शाब्दिक अर्थ है-’चित्र-हाइकु’ । हाइगा दो शब्दों के जोड़ से बना है …(‘‘हाइ” = हाइकु + “गा” = रंगचित्र चित्रकला) हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था | लेकिन आज डिजिटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जाता है- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’-डॉ हरदीप कौर सन्धु, हिन्दी हाइकु से साभार
यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं|
रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर ‘मधु’
8 comments:
bahut khoobsurat haaiga. Kamla ji aur Rita ji ko badhai.
Bahut sundar haiku chitron se or bhi jayada khubsurat ban pade..bahut2 badhai
Amita Kaundal said...
ऋता जी बहुत सुंदर हईगा हैं. आपके पहाड़ी राहों वाले हईगा ने तो मुझे मेरे हिमाचल की याद दिला दी. कमला जी व् आपको हार्दिक बधाई
सादर,
अमिता कौंडल
बहुत अच्छे हाइगा हैं...मेरी बधाई...।
डा.रमा द्विवेदी
कमला जी के हाइकु और ऋता जी के चित्रों ने बहुत सुन्दर समां बांधा है ....दोनों को बहुत बधाई .....
सुंदर हाइगा
अंतिम हाइगा में चित्र और शब्द एक ही रंग के हैं, शब्द अगर अलग रंग के होते तो शायद ज्यादा उभरते
नेह बन्धन और सिन्धु छलके शीर्षक के हाइकु तो हिन्दी काव्यजगत की अमूल्य निधि हैं। लिखे हुए नही आत्मा में रचे बसे , चाँदनी से धुले । अपने आप में किसी चित्र से कम नहीं । फिर चित्र नया रूप देw गए ।
कमला जी के हाइकु तो सुंदर हैं ही ऋता जी के चित्रों नए और सुंदर बना दिए |
दोनों को बहुत बधाई !
हरदीप
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