हाइगा’ जापानी पेण्टिंग की एक शैली है,जिसका शाब्दिक अर्थ है-’चित्र-हाइकु’ । हाइगा दो शब्दों के जोड़ से बना है …(‘‘हाइ” = हाइकु + “गा” = रंगचित्र चित्रकला) हाइगा की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में जापान में हुई | उस जमाने में हाइगा रंग - ब्रुश से बनाया जाता था | लेकिन आज डिजिटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जाता है- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’-डॉ हरदीप कौर सन्धु, हिन्दी हाइकु से साभार
यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं|
रचनाएँ hrita.sm@gmail.comपर भेजें - ऋता शेखर ‘मधु’
9 comments:
सुंदर हाइगा
हाइगा से परिचय आप ने कराया। बहुत ही सुंदर विधा है यह। शब्द चित्रों से हम लोग अपरिचित नहीं हैं, परंतु हाइकु जैसे छोटे छंद की अभिव्यक्ति को चित्र से मिलाना, वाक़ई दुष्कर कार्य है। आप इसे बखूबी अंज़ाम दे रही हैं। अंतर्व्य्था वाला हाइगा आप के कला कौशल का अद्भुत परिचय है। ऐसे और भी हाइगा देखने को मिलते रहेंगे, यही कामना है।
बढ़िया प्रस्तुति |
हमारी बधाई स्वीकारें ||
http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/10/blog-post_10.html
डा. रमा द्विवेदी
मंजू जी एवं सुभाष नीरव जी केसुन्दर हाइकुओ को आपने बखूबी चित्रों में ढाला है ...बधाई व शुभकामनाएं
वाह!बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
sabhi haaiga bahut sundar, badhai.
सुन्दर प्रस्तुति...सुभाष जी की ‘परते खोली..’, तथा ‘आँसू टपका...’ हाइगा बहुत अच्छा लगा और मंजू जी का ‘जाना ही था...’ पसन्द आया...।
मेरी बधाई...।
प्रियंका
Manju to me
ऋता जी,
धन्यवाद !! आपने तो इन हाइकुओं को नया रूप दे दिया है.. सभी हाइगा बहुत सुन्दर बन पड़े हैं. सभी चित्र भावोँ के साथ पूरी तरह से समन्वित हैं...
सादर
मंजु
सुभाष नीरव to me
ॠता जी
बहुत बहुत धन्यवाद आपका कि आपने मेरे हाइकु को इस योग्य समझा।
--
सुभाष नीरव
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